मामले की प्रकृति और गंभीरता पर आधारित, पैनल जज (PJ) अपने महासचिव (Secretary General) को विभिन्न क्रियावलियों की सिफारिश या आदेश दे सकते हैं, जिसमें शामिल है:
1. संबंधित विभागों को उनके उल्लेखनीय काम के लिए औपचारिक पत्र भेजना या, वैकल्पिक रूप से, सुधार के लिए संवादात्मक सुझाव प्रदान करना।
2. संबंधित संस्थानों या अधिकारियों की विशिष्ट गलतियों या लापरवाही को सूचित करते हुए कानूनी नोटिस जारी करना।
3. आवश्यक मामलो मे पीडितो के हितो की रक्षा के लिए और दोषियों को सजा दिलवाने के लिए उपयुक्त कानूनी उपाय शुरू करना, जिसमें औपचारिक शिकायतें, पहली सूचना रिपोर्ट्स (FIRs), संबंधित कोर्ट में केसस दायर करना, रिट याचिका प्रस्तुत करना, जनहित याचिकाएँ (PIL) दायर करना शामिल है।
4. जिन अधिकारियों या जजेस ने अगर कानून के निर्देशो का सही पालन नही किया है और सुप्रीम कोर्ट के तथा हाईकोर्ट के बंधनकारक आदेशो / निर्देशो की अवमानना करके कोई गैरकानूनी काम किया है उनके खिलाफ C. S. Karnan (2017)7 SCC 1, Raman Lal v. State of Rajasthan 2000 SCC OnLine Raj 226 और अन्य मामलो में दिए गए निर्देशों के अनुसार कोर्ट अवमानना और IPC 166, 218, 219, 220, 201, 466, 471, 474,409, 120 (B), 36, 341, 342, इत्यादि विभिन्न धाराओ में क़ानूनी कारवाई की प्रक्रिया आरंभ करना ।
5. दरकिनार किये गए मुद्दों पर ध्यान दिलाने के लिए सार्वजनिक आंदोलन या मुहिम शुरू करना ।
6. अधिकारी, कर्मचारी, जज और मंत्रियों द्वारा निभाए गए कर्तव्यों और जिम्मेदारियों की व्यापक समीक्षा करना। इसमें विवादास्पद विषयों पर बहस, चर्चा या संवाद आयोजित करना शामिल हो सकता है। इसके अलावा, कानूनी मुद्दों पर जनता को सही जानकारी देकर उन्हें जागरूक बनाकर खुद की लडाई खुद लडने की ट्रेनिंग दी जाती हैं, और अधिकारियों द्वारा किए गए किसी भी अनुचित प्रयोग या शक्ति के दुरुपयोग को प्रमुखता से उजागर किया जाता है और इसे विभिन्न मीडिया चैनलों, जैसे प्रिंट, डिजिटल या सोशल प्लेटफॉर्म हो, के माध्यम से जनता के सामने लाया जाता है।
7. इस प्रक्रिया का पालन करके, भारतीय जनता की महाअदालत यह सुनिश्चित करती है कि सार्वजनिक हित के मुद्दे न्याय की पवित्रता को बनाए रखते हुए और नागरिकों के अधिकारों की संरक्षण करते हुए कानून के सही दायरे में बिना किसी भेदभाव के निष्पक्षता से सुलझाए जाए।