मिटाने जमाने के कुछ गम उठे हैं,
जो शोषित हैं उन के लिये हम उठे हैं।
ये है जागने का समय जाग भाई
हनन करनेवालों ने आफत है ढाई ॥
मिले हाथ से हाथ और दिल से दिल भी
हमें मिल के लड़नी है, हक की लड़ाई
मिटाने जमाने के कुछ गम उठे हैं।
जो शोषित हैं उन के लिये हम उठे हैं ॥1॥
ना नौकर की शाही ना राजा का है राज
सदाचार गहना, तो सदगुण है एक ताज
हम इंसानियत का करें ऊँचा परचम
दुःखी, दीन, पीड़ित या मोहताज की आज
सदा सुन के सारे इसी दम उठे हैं
जो शोषित हैं उन के लिये हम उठे हैं ॥ 2 ॥
हमें साथ देने को कर्तव्य जानो
अधिकार जानोइन्हें भव्य मानो
ये ही उन्नति का गुरु मंत्र समझो
हो बलवान हम से प्रजातंत्र, ठानो
हमारी तरह तो बहुत कम उठे हैं
जो शोषित है उन के लिये हम उठे हैं ॥3 ॥
मिटाने जमाने के कुछ गम उठे हैं,
जो शोषित हैं उन के लिये हम उठे हैं ॥