1. मुंबई मे १८ जुलाई २०२३ को, ॲड. निलेश ओझा के कार्यालय में श्री प्रकाश पोहरे, आशुतोष पाठक, ॲड. दीपाली ओझा, श्री.रशीद खान पठान, श्री. अंबर कोईरी, ॲड. विवेक रामटेके, ॲड. ईश्वरलाल अगरवाल, ॲड.तनवीर निजाम, ॲड.विजय कुर्ले तथा अन्य वकीलों की मीटिंग हुई जिसमे आम आदमी पर हो रहे अन्याय और उन्हे न्याय पाने मे हो रही दिक्कत के बारे चिंता व्यक्त की गई।
2. उस मिटींग मे श्री. प्रकाश पोहरे और आशुतोष पाठक ने ॲड. निलेश ओझा से सहारा इंडिया के १३ करोड़ निवेशक और १२ लाख कर्मचारीयो, सुशांत सिंह राजपूत की हत्या, दिशा सालियान की हत्या और गैंग रेप, वैक्सीन माफियाओ का षडयंत्र, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री कलिखो पुल के सुसाइड नोट के आरोप को उल्लेखित करते हुए एक प्रश्न पूछा था की;
“आम आदमी को कोर्ट में वकिल लगाने के लिए पैसे नही है और थोड़ा बहोत वो खर्च करके अगर कोर्ट पहुंचता है और अगर सुप्रीम कोर्ट के जज और सत्ताधारी पार्टी के नेता मिलकर जनता के अधिकारो का हनन करते है तब आम आदमी कहा जायेंगा।
तीस्ता सेतलवाड़, अर्नब गोस्वामी, सलमान खान जैसे लोगो की सुनवाई तुरंत हो जाती हैं, याकूब मेनन जैसे आतंकीयोंके लिए सुप्रीम कोर्ट रात को २ बजे खुलती है, लेकिन आम आदमी को महीनो तक तारीख नहीं मिलती। जिस आधारपर तीस्ता सेतलवाड़, अर्नब गोस्वामी, सलमान खान जैसे लोगो को तुरंत मिल जाती है, वैसेही या उससे ज्यादा अच्छे आधार होने परभी और काम सजा वाले आरोप होने परभी आम आदमीको जमानत नहीं मिल पाती हैं। “
3. आशुतोष पाठक ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस श्री. व्ही. एन. खरे का दैनिक भास्कर का साक्षात्कार भी उल्लेखित किया जिसमे उनके कहने का आशय यह था की कोर्ट गरीबो के लिए नही है। अगर आप गरीब है तो कोर्ट के तरफ देखना गुनाह है। फैसले पैसों के दम पर हो रहे है।
दैनिक भास्कर के साक्षात्कार के कुछ अंश:
“Date: 10 वर्ष पहले
क्या फैसले पैसों के दम पर हो रहे?
पूर्व चीफ जस्टिस और इंडिया श्री. व्ही.एन. खरे का जवाब: -बिलकुल। आम आदमी के लिए न्याय है ही नहीं। गरीब निर्दोष होने के बावजूद दोषी करार दिए जाते हैं। वे खुद को निर्दोष साबित ही नहीं कर पाते। वकील करने की हैसियत ही नहीं होती। पैसे वाले शातिर लोग पहले से ही बंदोबस्त कर लेते हैं। महंगे वकीलों की फौज से हारी बाजी भी जीत लेते हैं।
क्या इन परिस्थितियां का कोई हल नहीं?
वोट बैंक की खातिर खाद्य सुरक्षा और मनरेगा जैसी योजनाएं आनन-फानन में शुरू कर दी जाती है। पर गरीबों को न्याय दिलाने में किसी को दिलचस्पी नहीं है। जजों की संख्या बढ़ानी होगी। अदालतों की हालत ठीक करने होगी। लेकिन यह लोक-लुभावन तो है नहीं। आखिर सरकार इस ओर क्यों ध्यान देगी? एक और बात- गरीबों को उनके मनपसंद वकीलों की सेवा मिलनी चाहिए। वह भी मुफ्त। खर्च सरकार दे।“
4. आम आदमी को पैसे की कमी की वजह से सही न्याय नही मिल पाना यह संविधान के अनुच्छेद 14 का स्पष्ट उल्लंघन है क्योकि संविधान ने ‘कानून के आगे सब समान’ की गॅरंटी सभी नागरिको को दी है। उसके आधारपर सभी लोगो ने ॲड निलेश ओझा से प्रश्न पूछा की:
“अगर आप चीफ जस्टीस होते तो आप क्या करते। “
5. उसी सवाल पर किये गये विचार मंथन, आम आदमी को न्याय दिलाने तथा भ्रष्टाचार के साथ-साथ सभी संस्थानो के मनमाने कामो पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से समाधान खोजने के लिए किए गए प्रयासो का परिणाम है “ सिटीजन्स कोर्ट ऑफ इंडिया (CCI) यानी ‘भारतीय जनता की महाअदालत’
6. यह महाअदालत’ सभी अधिकारियो, जजेस, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, पंतप्रधान से लेकर देश के हर संस्धानो की गलतिया, उसमे हो रहे भ्रष्टाचार और जनता के संसाधनो के दुरूपयोग तथा गैरकानूनी – काम के लिए करने वाले दोषियो के खिलाफ के आरोपो पर बहस, समीक्षा कर गलत कामो की आलोचना और दोषियो के खिलाफI.R., केसेस, जनहित याचिका के माध्यम से उन्हेउजागर करके दोषियो के खिलाफ अभियोजन चलाकर उन्हें सजा दिलवाने तक उस मामले पर निगरानी रखने और कारगर उपाय करने के राष्ट्रीय कर्तव्य को निभाने का एक प्रयास है।
7. समयानुसार इसका दायरा बढाया जायेंगा ताकि, इस जन आंदोलन के माध्यम से हम ॲड निलेश ओझा का‘मानवतावादी वैशिक भारत निर्माण’का सपना पूरा कर सके।
8. देश की कानून व्यवस्था और उसके प्रावधान हर आदमी को समान और तुरंत न्याय के लिए बनाये गए है। लेकिन आज ज्यादातर अन्याय के मामलो में आम आदमी को न्याय मिलना मुश्किल हो गया है।
9. आज की परिस्थीति मे आम आदमी को न्याय मिलना काफी मुश्किल हो गया है। कोर्ट मे न्याय अमीरो के हाथ की कठपुतली बनती दिखाई दे रही है।
10. कानून आम आदमी पर राज कर रहा है, और अमीर (दबंग) लोग कानून पर राज कर रहे है। इसके साथ ही अमीर लोग कानून के सहारे आम आदमी पर राज कर रहे है।
11. सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टीस कृष्ण अय्यर ने भी कहा था की हमारी न्यायव्यवस्था केवल अमीरों को न्याय देती दिख रही है। उन्होंने कहा
” अमीरो को जमानत (बेल) और गरीबो को जेल।“
“If you are a rich get a bail, If you are poor got to jail”
12. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश मे कहा की आम आदमी में यह धारण बनती जा रही है की कानून सबके लिए बराबर नहीं है। अमीरों को और प्रभावशाली लोगो पर क़ानूनी प्रावधान लागू नहीं हो रहे और केवल आम आदमी ही कानून के जाल में फसता है।
कानून मकड़ी का वह जाल हैं जिसमें कीड़े मकोड़े तो फंसते हैं मगर बड़े जानवर इसे फाड़ कर निकल जाते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने Zahira Habibullah Sheikh (5) v. State of Gujarat, (2006) 3 SCC 374, मामले में कहा है की;
“24[…] Increasingly, people are believing as observed by Salmon quoted by Diogenes Laertius in Lives of the Philosophers, “Laws are like spiders’ webs : if some light or powerless thing falls into them, it is caught, but a bigger one can break through and get away.” Jonathan Swift, in his “Essay on the Faculties of the Mind” said in similar lines: “Laws are like cobwebs, which may catch small flies, but let wasps and hornets break through.”
13. जस्टीस कृष्ण अय्यर ने यह भी कहा था की आप बार बार इस देश की जनता को बेवकूफ नही बना सकते। एक दिन ऐसा आयेंगा के लोग सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ विद्रोह कर देंगे और कहेंगे कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्टस को नष्ट करो क्योकि ये न्याय की जगह अन्याय कर रहे है। इन्होने हमारी जिंदगी नर्क बना दी है। [Raghbir Singh Vs. State of Haryana (1980) 3 SCC 70 & Vincent Panikulangara v. V.R. Krishna Iyer, 1983 SCC OnLine Ker 83]
14. देश का आम आदमी अभी भी कानून के मामले मे अज्ञानी है। अमीर और दबंग लोग आम आदमी पर राज करने के लिए अपने पद और पैसे का इस्तेमाल करके भ्रष्ट अधिकारी जिसमें पुलिस से लेकर जज तक शामिल है, उनके माध्यम से, देश की सरकारी यंत्रणाये जो कि समाज में समान न्याय देकर कानून व्यवस्था स्थापित करने के लिए है, उनका इस्तेमाल खुद के फायदे के लिए करके अन्याय और अत्याचार का शासन कर रहे है।
15. कई भ्रष्ट जजों, पोलिस तथा अन्य आधिकारियो, मंत्रियो, वकीलों की आपस में साठगाठ और उनके भ्रष्टाचार को अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री कलीखा पुल ने अपने सुसाईड नोट में किया है। ऐसे कई मामले आये है जहा पर दोषी जजेस और अन्य आरोपियों का भ्रष्टाचार में गिरफ्तार करके कारवाई की गई।
16. सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई गलतीयों के शिकार आम आदमी से लेकर वरिष्ठ प्रशासनिक और पुलीस अधिकारी, वकिल, उद्योगपती, महिला, मंत्री तक सभी भारतीय है।
उसकी विस्तारसे जानकारी इंडियन बार एसोसिएशन की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
17. ऐसा पाया गया है की, सुप्रीम कोर्ट के गलत आदेशों में से कुछ आदेश को अमीर और प्रभावशाली लोग बड़े वकील लगाकर बदलवा लेते है। अमीरों के खिलाफ के अन्याय बड़े बड़े वकीलों को लगाकर पुनर्विलोकन (Review, recall, curative) याचिकाये के माध्यम से दुर हो जाते है। सुप्रीम कोर्ट अपने आदेश वापिस लेकर उनके साथ न्याय कर देता है। लेकिन वैसे ही मामले में आम जनता के केस में सुप्रीम कोर्ट के गलत आदेश अभी तक वैसे ही है।
इसका उदाहरण नीचे दी गई दो लोगो पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा किये गए अन्याय और बड़े लोगो के खिलाफ का आदेश खारिज करना लेकिन गरीब के खिलाफ का गैरकानूनी आदेश खारिज नहीं करना इससे साफ हो जाता है।
17.1. पुलिस कमीश्नर एम्. एस. अहलावत को सुप्रीम कोर्ट ने Afzal Vs. State (1996) 7 SCC 397 मामले में झूठे शपथपत्र के मामले में IPC section 191, 193 के तहत 1 वर्ष जेल की सजा सुनवाई।
वैसे ही सजा Dy. GM, Inter-State Bus Terminal v. Sudershan Kumari, (1997) 3 SCC 496 मामले में एक साधारण परिवार की महिला को भी सुनाई गई।
17.2. पहले मामले में पुलिस कमीश्नर एम. एस. अहलावत ने लाखो रूपये फ़ीस देकर ॲड. हरीश सालवे को वकील नियुक्त किया और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ बेंच के माध्यम से खुद की सजा को अवैध घोषित करवा लिया। [ M.S. Ahlawat v. State of Haryana, (2000) 1 SCC 278]
वरिष्ठ बेंच ने सुप्रीम कोर्ट की गलती मानी और कहा की IPC 191 में सुप्रीम कोर्ट के पास केस चलने का और सजा देने का अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट को Cr.P.C. के section 195, 340 के प्रावधानों के अनुसार मजिस्ट्रेट कोर्ट में केस दायर करना चाहिए।
17.3. लेकिन साधारण परिवार की महिला Smt. Sudershan Kumari जो की सुप्रीम कोर्ट के वैसे ही गलत आदेशों की पिडीत है उसको ऐसा कोई न्याय मिलता नहीं दिखा है।
18. अर्णब गोसावी, तीस्ता सेतलवाड़ जैसे प्रभावशाली लोगो के लिए छुट्टी के दिन भी सुप्रीम कोर्ट की विशेष बेंच का गठन हो जाता है।
19. याकूब मेनन जैसे आरोपियों के लिए रात को 2 बजे सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करता है और वैसे ही मामलो में आम आदमी को वैसी सुविधा नहीं दी जाती जिसकी वजह से आम आदमी की धारणा सुप्रीम कोर्ट के प्रती नकारात्मक होने लगी है।
20. याद रखिए अन्याय कभी समाज में शांती नही ला सकता। ऐसा देश तरक्की नहीं कर सकता। जो व्यवस्था सर्व व्यापक नहीं है वह खुशहाली और समृद्धि नहीं ला सकती।
श्री. अटल बिहारी बाजपेयी ने कहा था;
“आखिर सहने की भी सीमा होती है,
सागर के अंदर ज्वाला सोती है । “
21. भारतरत्न डॉ. बाबासाहब अंबेडकर ने कहा था;
“संविधान यह जनता के हितो के लिए बनाया गया है, लेकिन इस देश की जनता जागरूक ना होने की वजह से सरकारी अधिकारियो को नंगा नाच करने का मौका मिला हुआ है। देश के लोगो को पढाई कर के शिक्षा हासिल कर ज्ञान प्राप्त कर संगठित होकर अपने अधिकारो के लिए संधर्ष करना चाहिए। शिक्षा (ज्ञान) ये शेरनी का वो दुध है, जीसे पीने वाला दहाड लगाये बगैर रुकेंगा नही।
अशिक्षित रहोंगे तो गुलामी का जीवन जिओंगे। आजाद बनना है तो शिक्षा हासिल करो।”
22. जब कानून और न्यायव्यवस्था कमजोर हो जाती है या जब आम आदमी का विश्वास न्यायव्यवस्था से उठने लगता है तब आम आदमी कानून हाथ में लेने की सोचने लगता है और फिर ‘अक्कू यादव’ जैसे गुंडों को पीड़ित महिलाओं और समाज के द्वारा भरी आदालत में कत्ल करने की वरदाते होती है। इससे देश अराजकता की ओर बढ़ता है। इसकी जिम्मेदार हमारी ख़राब न्याय व्यवस्था है।
23. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने AnitaKushwaha Pushap Sudan, (2016) 8 SCC 509, मामले में स्पष्ट किया है की जब न्याय मिलने के रास्ते नहीं रहते तब आम आदमी न्याय पाने के लिए गैरकानूनी तरीके अपनाता है और यह बात लोकतंत्र के लिए सबसे बड़े खतरे की घंटी है। यह प्रवृत्ति आगे चलके देश और समाज में अराजकता लाती है और बाद में दबंग लोगो का ही राज शुरू हो जाता है। जिसकी लाठी उसकी भैस वाली स्थिती आ जाती है।
24. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा है की अगर आम आदमी के लिए न्याय के कोई प्रावधान नहीं है तो सुप्रीम कोर्ट को और हाई कोर्ट को संविधान के अनुच्छेद ३२, १४२, २२६, २२७ के तहत नये प्रावधान बनाकर देना चाहिए। अन्यायग्रस्त और पीड़ित व्यक्ति के अधिकारो को अनदेखा करके जज अपने कर्तव्य से मुह नहीं मोड़ सकता है।
ऐसी ही बात निम्नलिखित आदेशो में भी है।
(i) Tamilnad Mercantile Bank Shareholders Welfare Assn. (2) v. S.C. Sekar, (2009) 2 SCC 784
(ii) K.S. Puttuswamy vs Union of India, (2017) 10 SCC 1
(iii) M.H. Hoskot v. State of Maharashtra, (1978) 3 SCC 544
(iv) Rupa Ashok Hurra vs. Ashok Hurra, (2002) 4 SCC 388
( v)Union of India v. Assn. for Democratic Reforms, 2002) 5 SCC 294,
25. जब अधिकारी, नेता या पुलिस द्वारा अत्याचार होता है तो आम आदमी कोर्ट (अदालत) जाता है। लेकिन जब वहा भी न्याय नहीं मिलता या फिर जब जज ही भ्रष्टाचार करने लगे या जब जज बड़े आरोपीयो को बचाने और निर्दोषों को फ़साने के षड़यंत्र में सामिल होने लगते है तब आम आदमी अपने आप को असहाय महसूस करता है। ऐसी परिस्थित मे क़ानूनी प्रावधान होते हुए भी दोषी जजेस पर या प्रभावशाली दबंग आरोपियोपर कोई कारवाई नही हो रही है। कई वकील और कई जजेस को कानून की सही जानकारी नही है और कुछ जजेस भ्रष्टाचार में लिप्त है। कई इमानदार और कानून के जानकार न्यायप्रिय जजेस का भी दम इस माहोल में घुटने लगा है। ऐसे ही पीडितो को न्याय दिलाने में मदद करने के उद्देश से इस जन आंदोलन का निर्माण हुआ है।
जनता की प्रार्थनाओ का जवाब है-
“भारतीय जनता की महाअदालत”
26. गीता मे श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा,
यतो धर्म स्ततो जय: (जहा धर्म वही विजय निश्चित है)
श्रीमदभगवत गीता में अधर्म, अन्यायी और अत्याचारियों के खिलाफ लडने को (कर्तव्य) पुण्य कहा गया है।
27. सुप्रीम कोर्ट के मानकचिन्ह (Logo) पर भी लिखा हुआ है ‘।
27. धर्मो रक्षति रक्षितः’ मतलब अगर आप न्याय की रक्षा करोगे तो न्याय आप की रक्षा करेगा
28. धर्म ग्रंथो में भी लिखा है कि, एक दिन का न्याय यह 60 वर्षों की पूजा (इबादत) से बढकर है मतलब 1 दिन का अन्याय आपकी 60 वर्षों की पूजा (इबादत) का पुण्य नष्ट कर देता है तथा आपके विनाश का कारण बनता है।
“One day’s justice is better than 60 years of worshipping God. Means one day’s injustice will destroy gains of 60 years of worship. It will become a cause for destruction of said person.”
(i) [Hadees No. Al Sunan Al Kubra 16139]
(ii) “ईश्वर के लिए गवाह होकर दृढ़तापूर्वक न्याय की रक्षा करने वाले बनो और ऐसा न हो की किसी गिरोह की शत्रुता मे तुम न्याय करना छोड़ दो। इंसाफ करो यह धर्मपरायणता के अधिक निकट है। “कुरआन (5:8-10)
(iii) “O you who believe! Stand out firmly for justice, as witnesses to Allah, even as against yourselves, or your parents, or your kin, and whether it be (against) rich or poor: for Allah can best protect both. Follow not the lusts (of your hearts), lest you swerve, and if you distort (justice) or decline to do justice, verily Allah is well-acquainted with all that you do.” (Chapter 4, verse 135)
This verse emphasizes the importance of standing up for justice and fairness, even if it may go against our own interests or the interests of our loved ones.
29. ‘कर्म प्रधान विश्वरचि राखा’ अर्थात कर्म ही सृष्टी का मूल है और गीता का मूल यही कर्मयोग है।
(श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा, ईश्वर यह कह रहा है कि)
1) तुम्हारे अपने ऊपर ईश्वर ने जो कर्म कर्तव्य के रुप में दिए है निःसंदेह हो कर केवल उनके बारे में सोचने के अतिरिक्त तुम्हे और कुछ सोचना नहीं चाहिए। निःसंदेह एक वीर के लिए धर्म युद्ध करके धर्म को स्थापित करने से श्रेष्ठ कोई दूसरा काम नहीं है। (गीता 2:31)
2) हे अर्जुन! इस प्रकार धर्म युद्ध का अवसर पाना एक वीर के लिए बड़े आनंद की बात है और अपने आप मिला हुआ यह अवसर स्वर्ग का खुला हुआ दरवाजा है। (गीता 2:32)
3) अगर अब तुम इस ईश्वर के धर्म को विजय दिलाने वाले युद्ध को नही करोगे तो तुम्हारे अपने कर्तव्य कर्म को न करने से संसार में तुम अपने यश को खो दोगे और तुम्हे पाप (गुनाह) भी मिलेगा। (गीता 2:33)
4) और नि: संदेह, तुम्हारे इस अपकीर्ती वाले कथन के बारे में सब लोग सदैव बातें करेंगे और अच्छी तरह याद रखो कि अपयश मौत से अधिक बुरा है (गीता 2:34) 5) हे कुन्ती पुत्र (अर्जुन)! (अगर तुम धर्म-युद्ध में) मारे गए तो तुम्हें स्वर्ग मिलेगा और अगर विजय प्राप्त हुई तो तुम्हें पृथ्वी का भोग भी मिलेगा, इसलिए युद्ध का दृढ निश्चय करके युद्ध के लिए तैयार हो जाओ। (गीता 2:37)
6) (1) सुख-दुख (2) लाभ-हानि, (3) विजय और पराजय के हालात में भी (ईश्वर के आदेशों का पाल न) करना तुम्हारा कर्तव्य हे, इसलिए ईश्वर के मार्ग के लिए युद्ध करो, जैसा कि युद्ध करना बताया गया है इस तरह तुम्हारे हाथों इन जालिमों की हत्या होने पर भी तुम्हे पाप मिलने वाला नही है। (गीता 2:38)
30. डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने पीडित जनता को अत्याचार के खिलाफ लड़ने का मूलमंत्र दिया ’शिक्षित बनो, संगठित बनो और संघर्ष करो’।
31. इन सभी उदाहरणो से यह साफ है कि, न्यायव्यवस्था और धर्म राज्य स्थापित करने के लिए अत्याचार के खिलाफ लड़ना और जो लड़ रहे है उनका साथ देना यह हमारा कर्तव्य है यही पुण्य कर्म है साथ ना देना पाप है हमें हमारे देश में सत्य, न्याय और समानता वाला ’मानवतावादी भारत’ निर्माण करना है और भ्रष्ट, अत्याचारी व जुल्मी व्यवस्था को बदलना है।
32. मैं आप सभी लोगो को एक बात स्पष्ट करना चाहता हूँ कि, आज की दुनिया मे सबसे बडा हथियार है ’कलम’,’सोशल मिडिया’ और लडाई विचारो की है।
A drop of Ink makes millions to Think – (Byron)
’’कलम द्वारा स्याही की एक बूंद, लाखो लोगों को सोचने पर मजबूर कर देती है’’
33. हमे भी ’कलम’, ’सोशल मीडिया’ आंदोलन आदि सवैधानिक मार्गों का सहारा लेकर पारदर्शी एव शीघ्र न्याय देनेवाली दोष-रहित न्यायव्यवस्था स्थापित कर सच्चे ’मानवता धर्म’ को स्थापित करना है।
34. महात्मा गांधी जी ने कहा है कि, यह जो भ्रष्ट, अत्याचारी, पापी लोग हैं वो ’पहले आप को अनदेखा करेंगे, फिर आपका मजाक उड़ायेंगे, फिर आपसे झगड़ा करने आयेंगे और आप जीत जायेंगे’
35. यह भ्रष्ट, अत्याचारी, जुल्मी लोग सोचते हैं कि सभी देशवासीयों को जात-पात, धर्म आदि के मामलों में उल झाकर आपस में लड़वाते हुए मानवता व न्याय को दफना कर अपना जुल्मी शासन करेंगे।
किंतु वे भूल गये कि मानवता, सत्य, न्याय एक ‘बीज’ है जो दफनाने के बाद बड़े वृक्ष के ऊश्प में फिर से ज्यादा बलशाली बनकर उभरता है और कई वृक्ष के बीज तैयार करता है ।
36. एक सेना के आक्रमण को रोका जा सकता है पर उस विचार को रोकना मुश्किल है जिसका समय आ गया है – विक्टर ह्यूगो
37. “भीष्म पितामह के जीवन मे एक ही पाप हुआ था कि उन्होने अधर्मियों द्वारा किये जा रहे पाप के समय पर क्रोध नही किया था जबकि जटायु के जीवन का एक ही पुण्य था कि उसने समय पर क्रोध किया।
परिणामस्वरूप….
भीष्म पितामह को बाणों की शय्या के साथ-साथ अपमानजनक पराजय और नर्क का रास्ता मिला वहीं जटायु को श्री राम की गोद के साथ-साथ मोक्ष, मुक्ति मिली।
38. ’अतः क्रोध भी तब पुण्य बन जाता है जब वह धर्म और मर्यादा के लिए किया जाए।’
’और सहनशीलता भी तब पाप बन जाती है जब वह धर्म और मर्यादा को बचा ना पाये।’
39. भारतवर्ष के इतिहास को लें तो देखेंगे कि सारे देवी देवताओ के हाथों में शस्त्र दिखाए गये हैं जो सभी पापियों का संहार करने के लिए और सज्जनो के धर्म की रक्षा के लिए हैं उसी प्रकार आज के युग का शस्त्र कलम है।
40. चाणक्य और चंन्द्रगुप्त ने जब अत्याचारी नंद राजा के खिलाफ आवाज उठाई तो ईश्वर ने उन्हे सम्राट बना दिया, शिवाजी महाराज, डॉ. बाबासाहब आंबेडकर, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, भगतसिंग, इन सभी महापुरुषों ने अन्याय अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाते हुये मानवता और न्याय-व्यवस्था कायम करने में मदद की।
41. अन्यायी, पापी और अत्याचारी अपना गैरकानूनी काम बेकौफ करते जा रहे है और कानून को ही ढाल बनाकर आम आदमी को प्रताड़ित कर रहे है। लेकिन वे लोग ये बात भूल जाते हैं कि अत्याचारी कितने भी शक्तिशाली क्यों न हो एक दिन उनका अंत जरूर होता है।ब्रह्माण्ड, प्रकृति (भगवान) अत्याचारीयो के विनाश के प्लान बनाती रहती है और आम आदमी या उनके समूह (संगठनो) को दैवी शक्तीयो से उर्जा देकर उनके द्वारा पापी और अत्याचारियो का संहार करते रहती है।
42. पवित्र गीता मे भी यह कहा गया है की;
“यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।
परित्राणाय साधुनांग विनाशाय च दुष्कृताम |
धर्मसंगस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे ||
“Whenever there is a decline in righteousness (dharma) and an increase in unrighteousness (adharma), and when there is a threat to the virtuous and an emergence of wrongdoers, the divine manifests itself in various forms across different ages to protect the righteous, restore righteousness, and destroy the wicked.”
“जब–जब धर्म की कमी (हानि) और अधर्म की वृद्धि होती है, और जब–जब धार्मिक लोगों की रक्षा की आवश्यकता होती है और दुष्टों की उत्पत्ति होती है, वही समय होता है जब ईश्वर अपने विभिन्न रूपों में प्रकट होकर धर्म की स्थापना करता है, अधर्म को समाप्त करता है और दुष्टों का नाश करता है”
43. इंसान की सेवा ही इश्वर की सच्ची सेवा है। कर्मयोग ही श्रेष्ट है। यहापर पुण्य की प्राप्ती तुरंत होती है और इसमे यह जीवन और मृत्यु के बाद का जीवन दोनों सफल होते है। मोक्ष और मुक्ती का यह सबसे बडा मार्ग है। अपने कर्तव्यो से भागने पर अपयश अपकीर्ती और नर्क की प्राप्ती है।
43.1. स्वामी विवेकानंद ने कहा;
“जीवेर सेवा, शिवेर सेवा, जीवप्राणीमात्र की सेवा ही शिव की सेवा है।
43.2. हिमालय मे जाकर योगसाधना, तपस्या करके जीवन बिताने से ज्यादा लाभ समाज मे रहकर जनकल्याण के लिए अपनी क्षमतानुसार अन्याय के खिलाफ लडाई मे शामिल होकर अपना योगदान देने से होगा।
43.3. इसे इस कहानी से समझे: –
एक बार नारद जी ने विष्णु जी से पुछ लिया की आपका मुझसे ज्यदा कोई प्रिय भक्त है क्या? और अगर है तो कौन है? विष्णू जी ने कहा की दक्षिण भारत में जाइये वहां पर रामदास नाम का एक किसान रहता है वो आपसे भी ज्यादा प्रिय भक्त है। और उस प्रकार के सभी लोग मुझे आपसे ज्यादा प्रिय है। यह सुनकर नारदजी आशचर्यचकित हो गये ।
विष्णु भगवान ने बताया, की भारत मे ‘अमुक गांव का अमुक किसान मेरा सबसे बड़ा भक्त है।’ नारद जी को बहुत धक्का लगा। उन्होंने भगवान जी के कथन की पुष्टि के लिए, अपने को संभालते हुए, भक्त किसान का नाम व पता नोट किया तथा उस किसान के गांव चल दिए। वहां जाकर देखा कि किसान ने सुबह 4 बजे उठकर दो बार नारायण-नारायण कहा। फिर नांद में भूसा, खली व पानी डालकर बैलों को लगा दिया। दैनिक क्रिया के बाद, सुबह का जलपान कर सूर्योदय के साथ ही हल-बैल लेकर खेतों में जा पहुंचा। पूर्वाह्र 10 बजे पत्नी द्वारा लाया कलेवा खाकर पुन: खेत में काम करने लगा। दोपहर में घर जाकर खाना खाया, सुर्ती खाया। बैलों को नांद पर लगाया। अपराह्र में खेतों में जाकर काम किया। ठीक, सूर्यास्त के पहले घर लौटा। हाथ-मुंह धोकर खाना खाया। दो बार नारायण-नारायण कहकर सो गया।
नारद जी को बड़ा आश्चर्य हुआ कि किसान द्वारा पूरे दिन में केवल चार बार नारायण-नारायण कहा गया, जबकि वे स्वयं दिनभर नारायण-नारायण कहते हैं, किन्तु उन्हें भगवान विष्णु अपना सबसे बड़ा भक्त नहीं मानते हैं। नारद जी ने अपनी आशंका व व्यथा विष्णु भगवान को बताई। तब विष्णु भगवान ने नारद को एक पूरा जल भरा कटोरा दिया और कहा, ‘इसको लेकर आप सूर्यास्त तक भ्रमण कीजिए, लेकिन ध्यान रहे, इसमें से एक बूंद पानी भी न गिरे। यदि ऐसा होता है, तो मेरा सुदर्शन चक्र आपके पीछे रहेगा, एक बूंद भी पानी गिरा तो वह आपकी गर्दन काट लेगा।’
नारद जी ने जल भरा कटोरा लिया और सुबह से शाम तक भ्रमण किया। सुदर्शन चक्र ने पीछा किया। सूर्यास्त हुआ तो उन्होंने राहत की सांस ली। कटोरे से एक बूंद पानी नहीं गिरा। उन्होंने राहत की सांस ली। नारद जी विष्णु भगवान के पास पहुंचे। विष्णु जी ने पूछा, ‘भ्रमण कैसा रहा?’
नारद जी ने उत्तर दिया, ‘आपके सुदर्शन चक्र व भरे पानी के कारण भ्रमण में तनाव बना रहा।’
विष्णु जी ने पूछा, ‘भ्रमण में कितनी बार मेरा नाम लिया?’
‘भगवान! एक तो जल भरा कटोरा लेकर चलना और उस पर आपके सुदर्शन चक्र का पीछे-पीछे चलना- उसमें पूरा ध्यान इन बातों पर था। आपका नाम कहां से लेता।’ नारद जी ने उत्तर दिया।
तब विष्णु जी ने कहा, ‘इसी प्रकार गृहस्थ जीवन की आपाधापी, आजीविका अर्जन की गला काट देने के भय वाली कठिनाइयों के बाद भी, यदि किसान सुबह-शाम मेरा नाम ले लेता है, तो निश्चित रूप से वह सर्वश्रेष्ठ भक्त है।
43.4. इसलिए हर व्यक्ति को कर्म योग द्वारा ही मोक्ष प्राप्त करना अपेक्षित है।
इसलिए आइये इस महान कार्य में तन मन धन से जुड़कर अपने राष्ट्रीय, धार्मिक और सवैंधानिक कर्तव्य को पूरा करे।
44. आम आदमी को निराश होने की जरुरत नहीं है। जब अन्यायी और अत्याचारियो का आतंक बढ़ता है तब उनका अंत नजदीक आ जाता है।
याद रखिये: –
(i) समय एकसा रहता है किसका सदा,
हैं निशि दिवा सी घूमती सर्वत्र विपदा-सम्पदा।
जो (अत्याचारी) आज उत्सव मग्न है, कल शोक से रोता वही।
अनाथ कहलाता जो पीड़ित आज, नरनाथ कल होता वाही।।
(ii) जब हो घाना अंधेरा,
तो सोचलो होने वाला है सवेरा ।।
(iii) जुल्म का यह दौर ज्यादा नहीं चलने वाला।
मजलूमे खुन ज्यादा नही बहने वाला।
अँधेरो का जिगर चिर के नूर आएगा,
वो है शैतान तो भगवन भी जरूर आएगा,
वो है रावण तो राम भी जरूर आएगा।
वो है फिरऔन तो मूसा भी जरूर आएगा।”
45. आम आदमी के दु: खो का निराकरण करके देश की सेवा करने के उद्देश से ही इस महाअदालत को निर्माण किया है। ईश्वरी शक्तियो के आशीर्वाद से ही इस जन-आंदोलन का जन्म हुआ है और आज यह जन आंदोलन एक विशाल रूप ले चूका है।
46. इस पुरे जन आंदोलन में इस बात का विशेष ख़याल रखा जाता है की ईमानदार, निडर और न्यायप्रिय अधिकारी, पुलीस जजेस, नेता, मंत्री आदी लोगो की भावनाये आहत ना हो, और उन्हें उनके के कर्तव्य निष्पक्षता तथा निडरता से वहन करने में कोई बाधा ना आये, वे किसी भी भेदभाव, पक्षपात या दबाव का शिकार ना हो। ऐसे लोगो को संगठन अपन स्तर पर पूर्ण रूप से मदद करता है।
47. आम आदमी को‘कोर्ट ऑफ़ इंडियन सिटीझन्स – भारतीय लोकतंत्र की अंतिम अदालत’ के जन आंदोलन के रूप में एक आशा की किरण दिखी है। यह दिख रहा है की, इस टीम के प्रयासों को ब्रह्माण्ड, प्रकृति (दैवी शक्तिया) शक्ति प्रदान कर रही है ताकि वे अधिकाधिक क्षमता से कार्य कर ॲड. निलेश ओझा का‘मानवतावादी वैश्विक भारत‘ के निर्माण का सपना पूरा कर सके।
48. हमे आशा है की जल्द ही यह’मिशन’ पूर्ण होगा और भारत देश फिर से विश्वगुरु बनकर संपूर्ण मानवजाती को आनेवाली कई सदीयो तक एक समृद्ध और खुशहाल जीवन व्यवस्था प्रदान करेगा और हम’विश्वबंधुत्व ‘ और ‘मानवजाती के कल्याण’ के अपने संकल्प को पूर्ण करेंगे।
49. निम्नलिखित महत्वपूर्ण विचारो को हमेशा याद रखिए: –
50. Injustice anywhere is threat to justice everywhere. ~ Martin Luther King Jr. [followed in Param Bir Singh v. State of Maharashtra, 2021 SCC OnLine Bom 516]
किसी और पे हो रहा अन्याय हर जगह के न्याय के लिए खतरा है। कल बारी आपकी भी हो सकती है।
i. This world suffered a lot because of silence of good people than because of violence of bad people. ~ Napoleon Bonaparte.
दुनिया को बुरे लोगों की हिंसा करने से ज्यादा नुकसान, अच्छे लोगों के शांत / चुप रहने से हुआ है।
ii. A stitch in time saves nine [State of Telangana v. Habib Abdullah Jeelani, (2017) 2 SCC 779]
समय पर अधिकारीयो या जजेस की गलतियो पर करवाई करनेसे ऐसे अत्याचार और अन्याय रुक आते है और अन्य लोग उसका शिकार होने से बच जाते है।
iii. Don’t see ‘who is right’, see ‘what is right’. ~ Adv. Nilesh C. Ojha
यह मत देखिए कि कौन सही है, यह देखिए की क्या सही है।
iv. If you protect Justice, Justice will protect you.”
धर्मो रक्षति रक्षितः।
v. Don’t find only faults. Anyone can do that. Give solutions. Give remedies. It requires wisdom to give remedies than just blaming. ~ [Swami Vivekananda]
केवल गलतिया या दोष बताना काफी नहीं है. वो काम कई लोग कर सकते है। असली बुद्धिमान वो है जो समस्या का निराकरण करने के उपाय उनका समाधान बताये। [स्वामी विवेकानंद]]
vi. Any problem well stated is a problem half solved. – Charles Kettering
अच्छी तरह से बताई गई कोई भी समस्या उसका आधा समाधान विश्लेषण मे ही दे देती है।
vii. Evil unchecked means evil tolerated and evil tolerated is evil propagated.
बुराई को न रोकने का अर्थ है बुराई को सहन करना, और बुराई को सहन करना ही बुराई को बढ़ावा देता है। – Thurgood Marshall
viii. When injustice becomes the law, resistance becomes the duty. – Thomas Jefferson
जब अन्याय कानून बन जाता है तो प्रतिरोध कर्तव्य बन जाता है।
ix. Mercy to the criminal is injustice to the victim and also to the society.
अपराधी पर दया करना पीड़ित के साथ-साथ समाज के प्रति भी अन्याय है।
x. Crime is contagious. If the Government officials (public servants) becomes a lawbreaker, it breeds contempt for law. It invites every man to become a law unto himself. It invites anarchy. – Luis Brandeis
अपराध संक्रामक है. यदि सरकारी अधिकारी (लोक सेवक) कानून तोड़ने वाली बन जाती है, तो यह कानून के प्रति अवमानना पैदा करती है। यह प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं के लिए कानून बनने के लिए आमंत्रित करता है। यह अराजकता को आमंत्रित करता है.
xi. Where you see wrong or inequality or injustice, speak out, because this is your country. This is your democracy. Make it. Protect it. Pass it on. -Thurgood Marshall
जहाँ आप गलत या असमानता या अन्याय देखते हैं, वहां बोलिए , आवाज उठाइये क्योंकि यह आपका देश है। यह आपका लोकतंत्र है। इसे बनाओ। इसे बचाओ। आगे बढ़ाओ।
xii. If you are neutral in situations of injustice, you have chosen the side of the oppressor. -Archbishop Desmond Tutu
यदि आप अन्याय की स्थितियों में तटस्थ (neutral) हैं, तो आपने अन्याय करने वाले अत्याचारी का पक्ष चुना है।
xiii. The ink of the right-minded scholar is holier than the blood of the martyr.
सही सोच वाले विद्वान की कलम की स्याही, शहीद के खून से भी ज्यादा पवित्र होती है।
xiv. In the end, we will remember not the words of enemies, of humanity, but the silence of our friends. – Dr. Martin Luther King Jr.
अंत में हमें मानवता दुश्मनों और अत्याचारीयो की बातें नहीं, बल्कि अपने दोस्तों की खामोशी याद आएगी।
xv. To sin by silence when they should protest makes cowards of men. – Ella Wheeler Wilcox
Silence becomes cowardice when occasion demands speaking out the whole truth and acting accordingly. – Mahatma Gandhi
अन्याय के खिलाफ जब विरोध करना आवश्यक है, तो मौन रहना कायरता और पाप होता है। यह लोगो को कायर बनाता है।
मौन होना कायरता बन जाता है। जब समय पूरी तरह सच बोलने और उसके अनुसार कार्य करने की मांग करता है।
xvi. A man dies when he refuses to stand up for that which is right. A man dies when he refuses to stand up for justice. A man dies when he refuses to take a stand for that which is true. – Dr. Martin Luther King Jr.
एक आदमी जब वह सही के लिए खड़े होने से इनकार करता है। एक आदमी मर जाता है। जब वह न्याय के लिए खड़े होने से इनकार करता है। एक आदमी की मृत्यु तब होती है। जब वह सही के लिए खड़े होने से इनकार करता है।
xvii. We must always take sides. Neutrality helps the oppressor, never the victim. Silence encourages the tormentor, never the tormented. – Elie Wiesel
हमें हमेशा पक्ष लेना चाहिए। तटस्थता (Neutrality) अत्याचारी की मदद करता है, पीड़ित की नहीं। मौन हमेशा अत्याचारी को प्रोत्साहित करता है।
xiii. Each time a man stands up for an ideal, or acts to improve the lot of others, or strikes out against injustice, he sends forth a tiny ripple of hope to humanity and society. – Robert F. Kennedy.
हर बार जब कोई व्यक्ति एक आदर्श के लिए खड़ा होता है, या दूसरों की स्थिति में सुधार करने के लिए कार्य करता है, या अन्याय के खिलाफ हमला करता है, तो वह समाज मे, पुरी मानवजाती को उम्मीद की एक छोटी सी किरण भेजता है।
50. सर्वशक्तीमान ईश्वर, प्रकृति, ब्रह्माण्ड की सभीदैवी शक्तिया, माँ भारती हम सभी को इस जनसेवा के राष्ट्रिय और धार्मिक कर्तव्य को पूरा करने में मार्गदर्शन एवम आशिर्वाद प्रदान करे।
शुभकामनाओ सहित।
आपका
श्री. राशिद खान पठान